विस्तार या संकुचन Posted by By Megha Darda April 26, 2020Posted inHindi, Life, Poem, QuotesNo Comments इस भीड़ में कहां खो रहे हैं हम ,जिंदा है पर क्या दिल से रो रहे हैं हम .भाग रहे हैं अपने विस्तार के लिए ,पर क्या अंदर से संकुचित…