मैंने पूछा जब अपनी ९ साल की बेटी से,
मुश्किल है काम किसका हम तीनो में से ,
तुझमे,मुझमे और पापा में से।
कुछ रुकी कुछ विचार किया उसने,
फिर तपाक से बोली ‘माँ’ का है।
मै मन ही मन मुस्काई, कुछ सकुचाई,
और फिर से पूछा उससे, बात पक्की करने के लिए,
बेटी ऐसा क्यों लगता है तुझे हम तीनो में से।
तुझमे,मुझमे और पापा में से, सबसे मुश्किल है काम “माँ” का,
उसने कहा मुश्किल ही तो है,
मुश्किल है एक काम जो हैं ‘भार’ कम करना ।
बड़ी गहरी बात कर दी उसने,
उसके लिए तोह भार सिर्फ शरीर का था,
पर मै तो पूरा ब्रह्माण घूम आई,
मुझे तो महसूस होता है पूरे
पृथ्वी का भार है मुझ पर ।
सब कुछ तो मै ही संचालित करती हूँ,
अपना घर, परिवार और ‘पूरा संसार’।