From me to you

वो दोस्त है हमदर्द है, साथी है मेरा ।

गुरूर है सम्मान है, सिंदूर है मेरा ।

बेफिक्र हूँ बिंदास हूँ, विश्वास से भरी हूँ मैं ।

वो है तो कब और कहां अकेली हूँ मैं ।

जब हंसती हूँ, मैं तो निश्चिंत रहता है वो ।

मेरी उदासी से, विचलित हो जाता है वो ।

हर कदम साथ चलता, मुझे कुछ ‘कर गुजरने’ के लिए प्रेरित करता है वो ।

मेरी हर गलतियों और नासमझी को बस ‘ignore’ करता है वो ।

क्योंकि शायद बहुत प्यार करता है मुझसे, और समय-समय पर कहता है वो ।

वो है तो मैं ‘मैं ‘ हूँ और बहुत कुछ और भी हूँ मैं ।

मेरी तो हर सुबह मेरी हर शाम है वो ।

मेघा दर्डा

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