विस्तार या संकुचन Posted by By Megha Darda April 26, 2020Posted inHindi, Life, Poem, QuotesNo Comments इस भीड़ में कहां खो रहे हैं हम ,जिंदा है पर क्या दिल से रो रहे हैं हम .भाग रहे हैं अपने विस्तार के लिए ,पर क्या अंदर से संकुचित…
अपने तरीके से रहना किसे पसंद नहीं? Posted by By Megha Darda April 26, 2020Posted inLife, Story1 Comment कोरोना का समय है। मैं अपने कमरे की खिड़की पर बैठी बाहर दूर तक देख रही हूं । बहुत ठंडी हवा चल रही है। छू रही है जब मेरे चेहरे…